आत्मनिर्भर भारत:एक ऐतिहासिक झलक
भारत के लिए "आत्मनिर्भर" शब्द का सुदृढ़ बीज 1905 ई0 के बंगाल विभाजन के समय से माना जा सकता है। बंगाल विभाजन की घोषणा के बाद ही कलकत्ता के टाउन हॉल में स्वदेशी आन्दोलन की घोषणा की गई। इसके बाद 1905 में ही कांग्रेस के बनारस अधिवेशन में गोपाल कृष्ण गोखले के नेतृत्व में स्वदेशी आन्दोलन को बल देते हुए विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया। जो विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता को कम करके बार-बार आत्मनिर्भरता को महसूस कराता है। अरविन्द घोष, रवीन्द्र नाथ टैगोर, लाला लाजपत राय, वीर सावरकर एवं बालगंगाधर तिलक स्वदेशी आन्दोलन के प्रमुख प्रणेता रहे। यघपि बंग-भंग आन्दोलन को 1911 में रद्द कर दिया गया लेकिन स्वदेशी आन्दोलन की जड़े मजबूत होती चली गयी और आगे चलकर यही स्वदेशी आन्दोलन महात्मा गाँधी के स्वतंत्रता आन्दोलन का भी केन्द्र बिन्दु बन गया। गाँधी जी ने स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए कुटीर व लघु उघोग तथा खादी उघोग के प्रोत्साहन से स्वप्रशासित ग्राम स्वराज की स्थापना की बात कही जो कि विकेन्द्रीकरण के सिद्धान्त पर आधारित है। गाँधीजी का मानना था कि प्रत्येक गाँव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति तथा सुरक्षा की दृष्टि से स्वावलम्बी हो।
स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरु ने अपनी कूटनीतिज्ञता का इस्तेमाल करते हुए विभिन्न देशों के सहयोग से भारत में इस्पात उघोगों की स्थापना कर भारत को औघोगिक रुप से आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जो कि हमारे देश के लिए आज मील का पत्थर साबित हो रही है।
गौरवशाली भारत का सपना देखने वाले लाल बहादुर शास्त्री ने "जय जवान-जय किसान'' का नारा उद्घोषित करते हुए भारतीय कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का संदेश दिया।
ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा का सफलतापूर्वक नेतृत्व करके भारत की प्रथम एवं अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरागाँधी ने भारत को विश्व के अन्य परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की कतार में लाकर खड़ा कर दिया। सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलिमैटिक्स (C-DOT), महानगर टेलिफोन निगम (MTNL) तथा विदेश संचार नेटवर्क लिमिटेड (VSNL) की स्थापना कर भारत को टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर में आत्मनिर्भर बनाने का कार्य प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने सैम पित्रोदा के साथ मिलकर किया। इस पहल से शहर से लेकर गाँव तक दूरसंचार का जाल बिछना शुरु हुआ। यही से भारत में कंम्प्यूटर युग का प्रारम्भ माना जाता है। उनकी सरकार ने पूरी तरह असेंबल किए हुए मदरबोर्ड और प्रोसेसर लाने की अनुमति दी। इसकी वजह से कंम्प्यूटर सस्ते हुए। ऐसे ही सुधारों से नारायणमूर्ति और अजीम प्रेमजी जैसे लोगों को विश्वस्तरीय आई टी कम्पनियाँ खोलने की प्रेरणा मिली।
भारत को वित्तीय क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पी0वी0 नरसिम्हाराव, डॉ0 मनमोहन सिंह तथा तत्कालीन वाणिज्य मंत्री पी0 चिदंबरम ने मिलकर उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण की नीति को अपनाया जिसका परिणाम यह हुआ कि आज भारतीय रिजर्व बैंक का रिजर्व बढ़कर 500 अरब डॉलर को पार कर गया और यह उत्तरोत्तर बढ़ता ही जा रहा है।
अगर अटल सरकार की बात करें तो सर्वशिक्षा अभियान के तहत 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को अनिवार्य एवं निशुल्क शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौघोगिकी के क्षेत्र में चंद्रयान प्रथम मिशन तथा आर्थिक आधारभूत संरचना के क्षेत्र में देश के चार बड़े महानगरों को जोड़ने वाली स्वर्णिम चतुर्भज योजना जैसे दीर्घकालिक कार्यों से आत्मनिर्भरता शब्द को नये ढ़ंग से गढ़ा।
2KY नामक वैश्विक समस्या ने भारत के आई टी सेक्टर को उभरने और आत्मनिर्भर बनने का एक नया अवसर दिया जिसके परिणामस्वरुप आज भारत की केवल आई टी सेक्टर से विदेशी पूंजी आगमन 100 अरब डॉलर से भी अधिक है।
इसके बाद के यू.पी.ए. सरकार के कालखंड को आर्थिक वृद्धि दर का स्वर्णिम काल कहा जाता है। US-India Peaceful Atomic Energy Cooperation Act 2006 (Hyde act) को रक्षा क्षेत्र में काफी बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है।
आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में हमेशा से कुछ-न-कुछ प्रयास अवश्य किये गये, इसको अत्यधिक व्यापक बनाने में भला प्रधानमंत्री मोदी जी कैसे पीछे रह सकते हैं। उन्होंने पदभार ग्रहण करते ही ''मेक इन इंडिया'' जैसी मुहिम की शुरुवात की जो कहीं-न-कहीं आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में अनौपचारिक पहल थी। लेकिन आज के कोविड-19 जैसी जानलेवा वैश्विक महामारी ने आत्मनिर्भरता के स्वरुप में बदलाव लाने के लिए न केवल विवश किया अपितु एक सुनहरा अवसर प्रदान किया है। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए औपचारिक रुप से मोदी सरकार नें ''आत्मनिर्भर भारत अभियान'' की शुरुवात की। कोई भी अभियान बिना वित्तीय सहायता के पंगु होता है। अतः इस अभियान के लिए सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की। आत्मनिर्भर अभियान को वित्तीय स्वरुप देने का यह एक ऐतिहासिक कदम है। यदि हम लोकल के लिए सही ढ़ंग से वोकल बन पाये तथा ''Make For World'' की बात को सही से अमलीजामा पहना पाये तो वास्तविक रुप में हमें आत्मनिर्भर बनने में देर नहीं है।
दलगत राजनीति से ऊपर उठकर ऐतिहासिक रुप से देखें तो पता चलता है कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने का जो काम एक सरकार ने प्रारम्भ किया उसे आने वाली सरकारों ने आगे बढ़ाया। मजबूत और आत्मनिर्भर भारत दुनिया के लिए बहुत बड़ा योगदान कर सकता है। हम ऐसी दुनिया में रहते हैं, जहां सभी एक दूसरे पर निर्भर हैं और ऐसे में दुनियाभर की बेहतरी में भारत का योगदान बढ़ना चाहिए। यह तभी हो सकता है जब हम अन्दर से मजबूत हों।
('Anurag Educational Academy' का विशेष आभार।)
-प्रतीक्षा त्रिपाठी
भूत से वर्तमान तक आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में हुई प्रगति का उत्कृष्ट वर्णन 👌👌🙏🤗🤗
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